Bhavna Pathak открытые
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यह कविता मन की चंचलता को दर्शाती है जो पल पल बदलता रहता है, निराशा और आशा के बीच गोते खाता रहता है।
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आज अंतरराष्ट्रीय कविता दिवस पर Timtim की एक नई प्रस्तुति, राष्ट्र कवि मैथलीशरण गुप्त की कविता "नर हो न निराश करो मन को"। यह कविता घनघोर निराशा में भी उम्मीद कि लौ जलाती है।
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