Atma-Bodha Lesson # 40 :
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आत्म-बोध के 40th श्लोक में आचार्यश्री हमें पिछले श्लोक में बताये गए एक बिंदु पर और गहराई से प्रकाश डालते हैं। वो बिंदु है - दृश्य का आत्मा में प्रविलापन। यह प्रविलापन कैसे किया जाता है - वह इस श्लोक में बताया जा रहा है। समस्त दृश्य विविध विषयों से बना है, और सभी विषयों में दो पहलु होते हैं, एक उसका विशिष्ट नाम-रूप और दूसरा उसका तत्त्व। इनकी दोनों को गहराई से समझा जाता है। इसके विवेक से ही प्रविलापन संभव होता है, और एक अखंड तत्त्व का साक्षात्कार हो जाता है।
इस पाठ के प्रश्न :
१. दृश्य जगत का प्रविलापन कैसे होता है?
२. प्रत्येक दृश्य विषय में कौन से दो पहलु होते हैं?
३. रूप आदि को मिथ्या बोलने का क्या आशय होता है?
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